बिना मतलब की बात पर सारे दिन कान खाना कोई इनसे सीखे और तो और जिस ख़बर का कोई अस्तित्व ही नहीं होता उसे भी न्यूज़ फ़्लेश में दिखाएँगे.
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पहली तो उन्होंने कहा कि वे हिन्दी ब्लॉगों का स्वागत करते हैं क्योंकि इससे प्रकाशन के अयोग्य रचनाओं के लेखक हंस जैसी पत्रिकाओं के संपादक के कान खाना बंद करेंगे अब इस कूड़े को वे खुद अपने ब्लॉग पर छाप लेंगे।
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पहली तो उन्होंने कहा कि वे हिन्दी ब्लॉगों का स्वागत करते हैं क्योंकि इससे प्रकाशन के अयोग्य रचनाओं के लेखक हंस जैसी पत्रिकाओं के संपादक के कान खाना बंद करेंगे अब इस कूड़े को वे खुद अपने ब्लॉग पर छाप लेंगे।
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जा रहा बाजार में थैला लिए तू रोज ही क्यों सर मुंडाना चाहता है यह व्यवस्था खून पी लेगी तुम्हारा शेर को कॉफ़ी पिलाना चाहता है व्यंग्य के ये शेर सुनकर लोग बोले क्यों हमारे कान खाना चाहता है-हुल्लड़ मुरादाबादी (अ) कवि बनाम दूरदर्शन